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अमेरिका के साथ संघर्ष पर चीन का नरम रुख, तनाव बरकरार

अमेरिका के साथ संघर्ष पर चीन का नरम रुख, तनाव बरकरार

बीजिंग: अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध या किसी अन्य प्रकार के संघर्ष के लिए पूरी तरह तैयार रहने की अपनी आक्रामक घोषणा के कुछ दिनों बाद, चीन ने अब अपना रुख नरम कर लिया है। चीन ने कहा है कि ऐसे युद्ध नहीं लड़े जाने चाहिए क्योंकि वे जीते नहीं जा सकते।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने अमेरिका से आग्रह किया कि वह रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के नाम पर चीन को नियंत्रित करने की कोशिश बंद करे। उनका यह बयान अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ की टिप्पणी के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका चीन के साथ युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अपनी सेना को मजबूत कर रहा है ताकि वह पूरी तरह तैयार रहे।

लिन ने गुरुवार (march 6) को कहा, “हमारा हमेशा से स्पष्ट मत रहा है कि चाहे वह टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो, शीत युद्ध हो या फिर गर्म युद्ध, ऐसे किसी भी युद्ध को नहीं लड़ा जाना चाहिए क्योंकि उन्हें जीता नहीं जा सकता।”

यह बयान मंगलवार को दिए गए उनके आक्रामक बयान से बिल्कुल अलग था। तब उन्होंने कहा था कि “चीन को धमकाया नहीं जा सकता। दबाव, जबरदस्ती या धमकियों से चीन को झुकाया नहीं जा सकता। अगर अमेरिका युद्ध चाहता है—चाहे वह टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो या कोई अन्य संघर्ष—तो हम अंत तक लड़ने के लिए तैयार हैं।”

अमेरिका की प्रतिक्रिया: सैन्य तैयारी पर जोर

लिन के नरम रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए, अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने कहा कि अमेरिका सैन्य रूप से पूरी तरह तैयार रहेगा। उन्होंने फॉक्स न्यूज पर कहा, “जो लोग शांति की कामना करते हैं, उन्हें युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। यही कारण है कि हम अपनी सेना को फिर से मजबूत कर रहे हैं और अपने निवारक क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं।”

अमेरिकी रक्षा विभाग की वेबसाइट पर प्रकाशित बयान में हेगसेथ ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मानते हैं कि “शक्ति के माध्यम से शांति बनाई जा सकती है” और उनका चीन के शीर्ष नेतृत्व के साथ संबंध बना हुआ है।

हेगसेथ ने स्पष्ट किया, “संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के साथ सक्रिय रूप से संघर्ष की तलाश में नहीं है। लेकिन रक्षा सचिव के रूप में मेरा कर्तव्य है कि हम पूरी तरह से तैयार रहें। इसके लिए हमें रक्षा बजट, आधुनिक हथियारों, सामरिक क्षमताओं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति को मजबूत करने की आवश्यकता है।”

चीन ने ‘शीत युद्ध मानसिकता’ को खारिज किया

हेगसेथ की टिप्पणियों के जवाब में, लिन ने अमेरिका पर वैचारिक टकराव को बढ़ावा देने और तथाकथित “चीन खतरे” की गलत धारणा फैलाने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका को यह समझने की जरूरत है कि चीन उसकी तरह वर्चस्ववादी नहीं है। अमेरिका को चीन-अमेरिका संबंधों को शीत युद्ध की मानसिकता से देखना बंद करना चाहिए।”

बढ़ता व्यापारिक तनाव

यह कूटनीतिक विवाद अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते आर्थिक तनाव के बीच सामने आया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले ही चीनी निर्यात पर 10% के दो दौर के टैरिफ लगा दिए हैं,जिससे कुल शुल्क बढ़कर 20% हो गया और भविष्य में और अधिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है।

ट्रंप प्रशासन की एक प्रमुख मांग यह भी है कि चीन अमेरिका में बढ़ती नशीली दवाओं की समस्या को लेकर उसकी चिंताओं का समाधान करे, खासतौर पर फेंटानाइल नामक शक्तिशाली ओपिओइड के अवैध व्यापार पर रोक लगाए। हालांकि चीन ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन व्यापारिक विवाद और रणनीतिक तनाव दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के संबंधों को लगातार चुनौती दे रहे हैं।

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