इंडसइंड बैंक के शेयरों में 11 मार्च 2025 को 27% की भारी गिरावट आई, जिससे यह ₹655.95 पर बंद हुआ। यह अब तक की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट रही और नवंबर 2020 के बाद का सबसे निचला स्तर रहा।
इस तेज गिरावट का मुख्य कारण बैंक द्वारा अपनी डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुई लेखा विसंगतियों का खुलासा था। बैंक ने पहले की विदेशी मुद्रा लेनदेन से जुड़े हेजिंग लागत का सही अनुमान नहीं लगाया था, जिससे दिसंबर 2024 तक इसकी शुद्ध संपत्ति में 2.35% की कमी आई। इस गलती के कारण बैंक को ₹1,500 करोड़ से ₹2,000 करोड़ तक का एकमुश्त नुकसान होने की संभावना है।
इस घटनाक्रम के बाद कई ब्रोकरेज फर्मों ने बैंक के शेयरों की रेटिंग घटा दी। उदाहरण के लिए, कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने बैंक की रेटिंग ‘खरीदें’ से घटाकर ‘घटाएं’ कर दी, यह कहते हुए कि बैंक की आंतरिक नियंत्रण प्रणाली पर भरोसा करना मुश्किल हो सकता है।
हालांकि, इस झटके के बावजूद, सीईओ सुमंत कथपालिया आशावादी बने हुए हैं। उन्होंने निवेशकों को भरोसा दिलाया कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में बैंक फिर से मुनाफे में आ जाएगा। उन्होंने कहा, “पूरा साल घाटे में नहीं जाएगा और चौथी तिमाही भी लाभ में होगी।”
इसी बीच, इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) के चेयरमैन अशोक हिंदुजा ने यह स्पष्ट किया कि गिरवी रखे शेयरों पर कोई मार्जिन कॉल नहीं आया है और प्रमोटर समूह बैंक को मजबूत वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।
इसके बावजूद, बैंक के बाजार पूंजीकरण को भारी नुकसान हुआ है, जो जनवरी 2024 के शिखर से लगभग ₹80,000 करोड़ तक घट गया है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बैंक की आगामी वित्तीय रिपोर्टों और प्रबंधन की सुधार रणनीति पर करीबी नजर रखें।