भारत जून 2025 तक दुनिया की सबसे लंबी एलपीजी पाइपलाइन का निर्माण पूरा करने के लिए तैयार है, जो कांडला से गोरखपुर तक 2,800 किलोमीटर तक फैली होगी।
कांडला-गोरखपुर एलपीजी पाइपलाइन(KGPL) भारत की एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है, जिसे दुनिया की सबसे लंबी तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) पाइपलाइन बनाने के उद्देश्य से विकसित किया जा रहा है।
यह पाइपलाइन लगभग 2,805 किलोमीटर लंबी होगी और गुजरात के कांडला को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से जोड़ेगी, साथ ही मध्य प्रदेश से होकर गुजरेगी।
कांडला-गोरखपुर एलपीजी (KGPL) पाइपलाइन की मुख्य विशेषताएँ:
रूट की लंबाई: कुल 2,805 किलोमीटर, जिसमें गुजरात में 1,076 किलोमीटर, मध्य प्रदेश में 621 किलोमीटर और उत्तर प्रदेश में 1,108 किलोमीटर शामिल हैं।
एलपीजी स्रोत: पाइपलाइन से एलपीजी की आपूर्ति कांडला, दाहेज और पिपावाव के आयात टर्मिनलों से होगी, साथ ही कोयाली और बीना रिफाइनरियों से भी गैस प्राप्त की जाएगी।
बॉटलिंग प्लांट कनेक्टिविटी: यह पाइपलाइन सीधे 22 एलपीजी बॉटलिंग प्लांट्स से जुड़ेगी—गुजरात में 3, मध्य प्रदेश में 6 और उत्तर प्रदेश में 13—जिससे एलपीजी वितरण अधिक प्रभावी और सुगम होगा।
क्षमता: यह पाइपलाइन सालाना लगभग 8.3 मिलियन मीट्रिक टन एलपीजी परिवहन करने में सक्षम होगी, जो भारत की कुल एलपीजी खपत का लगभग 25% है।
परियोजना की समयसीमा और स्थिति:
इस पाइपलाइन की आधारशिला 24 फरवरी 2019 को रखी गई थी।
मार्च 2025 तक इसकी पहली चरण की शुरुआत की योजना है, और जून 2025 तक इसे पूरी तरह से चालू कर दिया जाएगा।
KGPL पाइपलाइन के लाभ:
सुरक्षा में वृद्धि: यह पाइपलाइन एलपीजी के सड़क परिवहन पर निर्भरता कम करेगी, जिससे टैंकर ट्रकों से होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी।
लागत में कमी: पाइपलाइन परिवहन लागत को कम करेगी, जिससे उपभोक्ताओं के लिए एलपीजी की कीमतें अधिक स्थिर रहने की उम्मीद है।
पर्यावरणीय प्रभाव: सड़कों पर टैंकरों की आवश्यकता कम होने से ईंधन परिवहन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन(carbon emissions) में कमी आएगी।
भारत के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
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