भारतीय रेलवे, जो दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है, भारत की पहली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन को मार्च के अंत तक शुरू करने की तैयारी कर रहा है। यह पहल सतत और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे पेट्रोल या डीजल की जरूरत खत्म हो जाएगी।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रिपब्लिक प्लेनरी समिट में बोलते हुए इस विकास के महत्व को उजागर किया और कहा, “हमारी पहली हाइड्रोजन ट्रेन इस साल मई में लॉन्च होनी चाहिए। यह दुनिया की सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन होगी, 1,200 हॉर्सपावर की, जबकि दुनिया में विकसित की जा रही अधिकांश अन्य ट्रेनें 600 या 800 हॉर्सपावर की हैं। इसलिए, यह वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि होने वाली है।”
हाइड्रोजन ट्रेन कहां चलेगी ?
भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन दिल्ली डिवीजन के जींद–सोनीपत मार्ग पर चलेगी, जिसकी कुल दूरी 89 किमी होगी।
निर्माण और तकनीकी विशेषताएँ
निर्माता: इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), पेरंबूर, चेन्नई।
गति: यह ट्रेन 140 से 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकती है।
शक्ति: 1200 हॉर्सपावर (HP) की क्षमता से लैस, जो अन्य देशों में चलने वाली 500-600 HP की हाइड्रोजन ट्रेनों की तुलना में काफी अधिक है।
कोचों की संख्या: 10, जो इसे अन्य देशों की हाइड्रोजन ट्रेनों से बड़ा बनाता है।
लागत और भविष्य की योजनाएँ
एक ट्रेन की लागत: ₹80 करोड़।
कुल परियोजना लागत: भारतीय रेलवे ₹2,800 करोड़ की लागत से 35 हाइड्रोजन ट्रेनें तैयार करने की योजना बना रहा है।
भारत वैश्विक सूची में शामिल
इस लॉन्च के साथ, भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जहां हाइड्रोजन ट्रेनें संचालित होती हैं, जिनमें जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, चीन और स्वीडन शामिल हैं।
9000 HP की हाई-पावर लोकोमोटिव भी तैयार
केवल हाइड्रोजन ट्रेन ही नहीं, भारत (Indian Railways) अब हाई-पावर लोकोमोटिव निर्माण में भी नए आयाम स्थापित कर रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में गुजरात के दाहोद में विकसित 9,000 हॉर्सपावर की अत्याधुनिक लोकोमोटिव का जिक्र किया। बताया जा रहा है कि यह लोकोमोटिव किसी पारंपरिक इंजन की तरह नहीं बल्कि एक अत्यधिक रिफाइन्ड डेटा सेंटर की तरह काम करेगा।
इंडियन रेलवे का ग्लोबल लेवल पर विस्तार
भारत की रेलवे मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को ग्लोबल लेवल पर मजबूत करने के उद्देश्य से सरकार Railway Equipment Export को भी बढ़ावा दे रही है। Electronics, Telecom और Defence Sector में मिली सफलता की तर्ज पर भारत अब रेलवे उपकरण निर्माण और एक्सपोर्ट में ग्लोबल लेवल पर टॉप पर जाने की सोच रही है।
इको-टूरिज्म को बढ़ावा का प्रयास
भारत में Sustainable Travel को लेकर जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। एक ओर Eco-Friendly Tourism को बढ़ावा देने के लिए केरल, सिक्किम, मेघालय और मध्य प्रदेश में कई पहल की जा रही हैं तो वहीं दूसरी ओर भारतीय रेलवे ग्रीन मोबिलिटी की दिशा में नई तकनीकों को अपना रहा है। हाइड्रोजन पॉवर्ड ट्रेन इस दिशा में सबसे बड़ा कदम साबित होगी।
ग्रीन ट्रांसपोर्ट में भारत की बड़ी छलांग
हाइड्रोजन को भारत में ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन (Green Transportation) को बढ़ावा देने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। यह ट्रेन डीजल इंजन (Diesel Engine) का एक इको-फ्रेंडली विकल्प होगी। साथ ही भारत की एडवांस रेलवे इंजीनियरिंग और सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट को दर्शाएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रेन का सफल ट्रायल करने के बाद इसे जल्द ही कमर्शियल ऑपरेशन के लिए तैयार किया जाएगा। भारतीय रेलवे के 2030 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा करने में योगदान देगी।