अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) ने अपने संचालन में महत्वपूर्ण कटौती की है, जिसमें ट्रंप प्रशासन द्वारा छह सप्ताह की समीक्षा के बाद 83% कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, USAID के लगभग 6,200 कार्यक्रमों में से 5,200 को समाप्त कर दिया गया है, जबकि शेष 17% अब विदेश विभाग द्वारा संचालित किए जाएंगे।
प्रशासन ने इन कटौतियों को यह कहते हुए उचित ठहराया कि कई कार्यक्रम अरबों डॉलर खर्च कर रहे थे, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रीय हितों को कोई लाभ नहीं पहुंचा रहे थे। हालांकि, इस कदम को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। एक संघीय न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी शक्तियों से अधिक कदम उठाया है, क्योंकि विदेशी सहायता निधि आवंटित करने का अधिकार कांग्रेस के पास है। इसके बावजूद, न्यायाधीश ने रद्द किए गए अनुबंधों को पुनः बहाल करने का आदेश नहीं दिया।
क्या है USAID ?
USAID / United States Agency for International Development (संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी) अमेरिकी सरकार की एक एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय विकास और मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है। यह विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि, स्वास्थ्य, शिक्षा, लोकतंत्र और आपदा राहत को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है। USAID सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और निजी संगठनों के साथ साझेदारी करके गरीबी, खाद्य असुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करती है। इसका मिशन अमेरिकी विदेश नीति के हितों को आगे बढ़ाना और दुनिया भर में लोगों के जीवन में सुधार करना है।
आलोचकों का कहना है कि इन कार्यक्रमों की अचानक समाप्ति लोकतंत्र को बढ़ावा देने, नागरिक समाज के समर्थन, स्वास्थ्य पहल और आपातकालीन सहायता प्रयासों को बाधित कर रही है। संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में आपातकालीन पोषण सहायता और स्वच्छ जल जैसी आवश्यक सेवाएं अनिश्चितता में पड़ गई हैं। इस अचानक हुई कटौती से हजारों नौकरियां प्रभावित हुई हैं, जिससे कर्मचारी और ठेकेदार संकट में आ गए हैं। प्रशासन ने USAID कर्मचारियों को 6 अप्रैल तक अमेरिका लौटने का विकल्प दिया है यदि वे सरकारी खर्चे पर यात्रा करना चाहते हैं, जिससे कर्मचारियों और उनके परिवारों के बीच और अधिक असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
USAID के तहत, बांग्लादेश को $440 मिलियन, पाकिस्तान को $231 मिलियन, और श्रीलंका को $123 मिलियन की सहायता प्राप्त हुई थी। अब, इस सहायता के समाप्त होने के साथ, इन देशों में कई परियोजनाएं ठप हो गई हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान में इस सहायता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कथित तौर पर भारत-विरोधी गतिविधियों में उपयोग किया गया था।
इस बड़े पैमाने पर की गई विदेशी सहायता कटौती ने वैश्विक मानवीय प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय विकास में अमेरिका की भूमिका को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।