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सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को दी मंजूरी

भारत सरकार ने 8वें वेतन आयोग की आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी है, जो केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन ढांचे की समीक्षा करेगा और संशोधन की सिफारिश करेगा।

आयोग की सिफारिशों को 1 जनवरी 2026 से लागू किए जाने की संभावना है। हालांकि इसके अध्यक्ष और सदस्यों का अभी तक चयन नहीं हुआ है।

कर्मचारी और पेंशनभोगी वेतन संशोधन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिसमें 100% वेतन वृद्धि और महंगाई भत्ता (DA) को मूल वेतन में शामिल करने की संभावना शामिल है।

नेशनल काउंसिल-जेसीएम के कर्मचारी पक्ष ने नए वेतन आयोग में एक प्रावधान जोड़ने का अनुरोध किया है, जिससे महंगाई भत्ता (DA) को मूल वेतन में जोड़ा जाए। यह प्रस्ताव पहले 2016 में 7वें वेतन आयोग के दौरान भी उठाया गया था, लेकिन सरकार ने तब इसे स्वीकार नहीं किया था।

5वें वेतन आयोग (1996–2006) के दौरान यह नियम था कि जब DA 50% तक पहुंच जाए, तो इसे मूल वेतन में समाहित कर दिया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप 2004 में DA का विलय हुआ, जिससे कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि हुई।

हालांकि, 6वें वेतन आयोग (2006) ने इस प्रावधान को समाप्त कर दिया और DA को मूल वेतन में जोड़ने की यह प्रक्रिया बंद कर दी गई।

मौजूदा बनाम अपेक्षित वेतन वृद्धि

वर्तमान में, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मूल वेतन ₹18,000 प्रति माह है। यदि प्रस्तावित 2 के फिटमेंट फैक्टर को स्वीकार किया जाता है, तो नया न्यूनतम मूल वेतन ₹36,000 प्रति माह हो जाएगा। इससे लाखों सरकारी कर्मचारियों का वेतन दोगुना हो जाएगा।

पेंशनभोगियों पर भी इस प्रस्तावित वेतन वृद्धि का प्रभाव पड़ेगा। वर्तमान में न्यूनतम मूल पेंशन ₹9,000 प्रति माह है। 2 के फिटमेंट फैक्टर के साथ, यह बढ़कर ₹18,000 प्रति माह हो जाएगी, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बहुत आवश्यक राहत मिलेगी।

सरकार ने अभी तक 8वें वेतन आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के नामों की घोषणा नहीं की है। महंगाई भत्ता विलय और वेतन वृद्धि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा जारी है, और आने वाले महीनों में आधिकारिक निर्णय लिए जाने की संभावना है।

एक महत्वपूर्ण पहलू जो विचाराधीन है, वह ‘फिटमेंट फैक्टर’ है, जो वर्तमान मूल वेतन पर लागू किया जाने वाला एक गुणांक है, जिससे संशोधित वेतन निर्धारित किया जाता है। 7वें वेतन आयोग ने 2.57 के फिटमेंट फैक्टर का उपयोग किया था, जिससे न्यूनतम मूल वेतन ₹18,000 हुआ था। 8वें वेतन आयोग के लिए चर्चाओं में इस फिटमेंट फैक्टर में संभावित वृद्धि का संकेत दिया गया है।

अनुमानों के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर 2.86 तक बढ़ सकता है, जिससे लेवल 1 में न्यूनतम मूल वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹51,480 हो सकता है।

पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग का मानना है कि 2.86 के फिटमेंट फैक्टर की मांग करना अवास्तविक है, जिसे वह “चांद मांगने” के समान बताते हैं। उनके अनुसार, सरकार को लगभग 1.92 के फिटमेंट फैक्टर पर ध्यान देना चाहिए।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये आंकड़े अभी अनुमानित हैं। आधिकारिक फिटमेंट फैक्टर और वेतन संशोधन आयोग की विस्तृत समीक्षा और सरकार की अंतिम मंजूरी के बाद ही तय किए जाएंगे। आयोग को लागू करने की निर्धारित तिथि से पहले गठित किया जाएगा ताकि एक व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।

वर्तमान में, सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है, लेकिन सरकार ने 8वें वेतन आयोग की कार्यसूची (Terms of Reference) की घोषणा नहीं की है। अब यह देखना बाकी है कि यह फैसला कर्मचारियों के पक्ष में कितना जाता है। आने वाले महीनों में इस विषय पर चर्चाएँ तेज होने की उम्मीद है, और लाखों सरकारी कर्मचारी आशान्वित हैं कि इस बार उन्हें उनकी मेहनत और बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए उचित वेतन वृद्धि मिलेगी। केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को वेतन समायोजन और कार्यान्वयन की सही जानकारी के लिए आधिकारिक अधिसूचनाओं का इंतजार करने की सलाह दी जाती है।

फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) ?

फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) एक गुणांक (multiplier) होता है, जिसका उपयोग सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन (Basic Pay) को संशोधित (revise) करने के लिए किया जाता है। यह कारक वेतन आयोग द्वारा निर्धारित किया जाता है और इसके आधार पर नया वेतन तय किया जाता है।

फिटमेंट फैक्टर कैसे काम करता है?

फिटमेंट फैक्टर को मौजूदा मूल वेतन से गुणा (multiply) करके नया वेतन निर्धारित किया जाता है। उदाहरण के लिए:

7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन ₹7,000 था, तो नया वेतन होगा:

₹7,000 × 2.57 = ₹17,990 (लगभग ₹18,000)

8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 होने की संभावना है। अगर न्यूनतम वेतन ₹18,000 है, तो नया वेतन होगा:

₹18,000 × 2.86 = ₹51,480

फिटमेंट फैक्टर का महत्व

यह सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि सुनिश्चित करता है।

पेंशनभोगियों को भी इसका लाभ मिलता है क्योंकि उनकी पेंशन नए वेतनमान के आधार पर बढ़ती है।

यह महंगाई को ध्यान में रखते हुए वेतन में सुधार करता है।

संक्षेप में, फिटमेंट फैक्टर सरकारी वेतन ढांचे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वेतन आयोग इसे कर्मचारियों की जीवन-यापन लागत और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए तय करता है।

8वें वेतन आयोग से संभावित अन्य लाभ

1. उच्च हाउस रेंट अलाउंस / House Rent Allowance (HRA)

मेट्रो, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में HRA में वृद्धि की उम्मीद है।

टियर-1 शहरों में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों को अधिक मकान किराया भत्ता मिलेगा।

2. महंगाई भत्ता / Dearness Allowance (DA) में बढ़ोतरी

महंगाई और जीवन-यापन लागत को संतुलित करने के लिए DA में संशोधन किया जाएगा।

कर्मचारियों और पेंशनभोगियों दोनों को इसका लाभ मिलेगा।

3. सेवानिवृत्ति लाभ और ग्रेच्युटी में सुधार

ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा ₹20 लाख से बढ़ाकर ₹25-30 लाख की जा सकती है।

सेवानिवृत्ति के बाद बेहतर वित्तीय सुरक्षा मिलेगी।

4. बोनस और प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन

उत्पादकता-आधारित बोनस देने की योजना बनाई जा रही है।

कर्मचारियों को अधिक प्रभावी और कुशलता से कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

 

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